🚩🕉️बाबरी ध्वंस के असली नायक संतोष दुबे जी💪👊⚔️🕉️🚩
संदीप श्रीवास्तव Story of Karsevak Santosh Dubey : 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस का वह ऐतिहासिक दिन, जब इसके मुख्य आरोपी संतोष दुबे को कारसेवा के दौरान 4 गोलियां लगीं और वे 22 दिनों तक कोमा में रहे। प्रभु कृपा से आज वे पूरी तरह स्वस्थ हैं। उनका कहना है कि रामलला के लिए जन्मे हैं, जो ठाना है, वो कर दिखाया। आइए जानते हैं उन्हीं की जुबानी कारसेवा की कहानी... बाबरी विध्वंस के मुख्य आरोपी कारसेवक संतोष दुबे ने वेबदुनिया से खास बातचीत में बताया कि अयोध्या में जो कारसेवा हुई उसकी रूपरेखा क्या थी। उन्होंने बताया कि 30 अक्टूबर को कारसेवक बाबरी ढांचे पर चढ़ गए थे। उसके बाद हम सभी को बड़ा अफ़सोस हुआ कि हमारे पास कुछ नहीं था, उधर से गोलियां चल रही थीं, आंसूगैस के गोले दागे जा रहे थे। हम भगवा ध्वज फहराकर ही खुश नहीं होना चाहते थे, क्योंकि हम तो ढांचा गिराने के लिए वहां गए थे। दुख था कि हमारे पास कुछ नहीं था, केवल साधुओं के कुछ चिमटे और शिवसेना के कुछ कार्यकर्ताओं की तलवारे थीं, जिससे वह मजबूत गुम्मद गिराया नहीं जा सकता था, जिसकी बड़ी पीड़ा थी। बहुत खुशियों से भरे थे, लेकिन जब हम सभी ढा